लोग यूँ बिछड़ते हैं


लोग यूँ बिछड़ते हैं

लोग यूँ बिछड़ जाते है

मिलकर अक्सर,

जैसे कभी मिले ही न हो

भूल जाते हैं ऐसे,

जैसे कभी दिखे ही न हो

बिछड़ कर.. कर लिया

खुद को और मुझ

अंजान.... मानों

जैसे कभी मिले ही न हो।

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