लोग यूँ बिछड़ते हैं लोग यूँ बिछड़ जाते है मिलकर अक्सर, जैसे कभी मिले ही न हो भूल जाते हैं ऐसे, जैसे कभी दिखे ही न हो बिछड़ कर.. कर लिया खुद को और मुझ अंजान.... मानों जैसे कभी मिले ही न हो।
सुबह का सूरज एक जलती रोशनी के साथ उभरता है, धीरे-धीरे वही रोशनी आग का गोला बन जाती है, शाम तक वही रोशनी अंधेरी रात में छिप जाती है, फिर चाँद और सितारों का एक नया रिश्ता आता है, वो रिश्ता होता तो बहुत गहरा है, पर एक दिन सितारा टूट कर दूर चला जाता है ॥
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